आइ पी एल का तमाशा या फिर ग्लेडीएटर का खुनी युद्ध
हजारो वर्ष पहले रोमन शासक ,,अपनी प्रजा का ध्यान मूल समस्याओ से भटकाने के लिए ,,बड़े बड़े कोलेसियम में ग्लेडीएटर का खुनी युद्ध आयोजित करते थे ,,,,जनता से इकठ्ठा टैक्स से मुट्टी भर आमिर वर्ग वैभव शाली जीवन जीता था और आम जनता अपने कष्ट भूल कर इन खुनी तमाशो में खो जाती थी ,,,आज का आइ पी एल भी एक ऐसा ही तमाशा है ,,जिस नाटक का हर अंक तय है ,,,और आज भी जनता अपने कष्ट भूल कर ,,इस झूठे खेल पे ताली पीट रही है ,,,वाकई इतिहास अपने को दोहराता है ,,,रोम की एक और प्रसिद्ध उक्ति है ,,जब रोम जल रहा था ,,नीरो बंसी बजा रहा था ,,,आज हमारा रोम जल रहा है ,,, मनमोहन जी बंशी तो नहीं बजा रहे ,,क्योंकि उन्हें शायद बंशी बजानी भी नहीं आती ,,,,,,,,,,
अनुभव
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