Monday, November 25, 2019

चपड़ासी का नाम था घांसी,,,, उसकी विशेषता थी भयंकर खांसी,,और काम था,,सुबह से कोने पे बैठ कर ऊँघासी,, संज्ञा सर्वनाम और विशेषण का अद्भुत समन्वेशी चरित्र,,,सैतीस बरस के कार्य अनुभव ,,को बीड़ी के धुंवे में दिन भर फूंकता रहता,,,सुबह तहसील दफ्तर का किवाड़ खोल कर बीते दिन के सारी गन्दगी और यादों को पीछे कूड़े में उलेड आता,, और एक पुराने अंधेरे कोने में,,टेबिल पे पसर जाता,,  पूरे दिन के प्रोटोकॉल में साहब के आने जाने पे  खड़ा होकर नमस्ते,,और