उम्दा जायका,,,उसके इन्द्रिडेंट से नही बनाता,,वो तो बनता है जज़बातों की भीगी महक और परम्पराओं की गाढ़ी चाशनी से,,तो जनाब,,,निरामिष भोजन की श्रृंखला में,,हमने किसम किसम के जायके ,,चखे पर ,,छतीसगढ की लाल माटी ,,जो टेस्ट बर्ड्स को गुदगुदाती है वो रेशेपी ,,मैंने पहले पहल चखी ,,रुदनी ,,संग अमठही,,संग भाँटा,,ये जायका खालिस देशी है और इससे सरोकार है,, हमारे आशीष भाई का,, वो इस शिद्दत से ये जायका चुरोते है कि महरबा,,ग़ालिब घूम आते है,,,
हजारों ख्वाहिशे ऐसी की हर ख्वाहिस पे दम निकले
तेरे रुदुवा में जो चटखारे है वो हर जायके से कम निकले
निकलना खुल्द से आदम का सुनते आए थे लेकिन
बहुत निकले मेरे अरमान फिर भी कम निकले