Tuesday, January 8, 2019

आगे बढ़ो

साथी आगे बढ़ो,,,

थी पुरानी सड़क जिसे कल से बनना था,,,
फोर लेन होकर सजना था सवरना था,,,
सड़क खुश थी पर साथी कुछ उदास थे
वर्षो से किनारे जो खड़े साथ साथ थे
तपे न धूप में कोई जिनका मकसद था
कोई नीम कोई पीपल कोई बरगद था

सड़क साथियों को उस छोर की कहानी कहती
जिस ऒर शहर था,,पुल थे,,और एक नदी बहती
इतनी खुशहाली पर बरगद को अचरज होता
कभी पीपल मुस्कुराता कभी नीम भौचक होता
वो पूछते सड़क से विकास के फ़साने
कहते कभी तो लाओ हमसे भी मिलाने
आखिर उस रोज चमकता विकास मिलने आया
सजी धजी योजना और लक्छ को भी संग लाया
सबके सहयोग से आगे बढ़ने की बात कही
सभी खुश थे खबर जो आनी थी नई
फिर उस रोज सड़क वो खबर ले आई
चार लेन में बढूंगी कहकर बाटी मिठाई
साथियो ने पूछा ये कौन सा सपना था
दोस्तों का कटना,,अब दोस्त का बढ़ना था
विकास का संदेश सड़क ने बतलाया
तुम सब को भी योजना ने शहर में बुलवाया
कब तक युही खड़े खड़े झाड़ बनोगे
आगे बढ़ो,, अब फर्नीचर और किवाड़ बनोगे
झाड़ तो निपट थे योजना को समझ नही पाते
जो समझते विकास की मंशा,, तो जड़ छोड़ भाग जाते,,,,

अनुभव


Tuesday, January 1, 2019

पहली जनवरी की गुनगुनाती दुपहरी,,, ऊबता ,,उखड़ा हुआ जूना रास्ता,,गावँ पीछे छोड़ एक बाँधा तक  गया,,,किनारे खेत पर बेफिक्र पीली सरसों खड़ी थी,कतार में,,और,बगुले दूर तक घोंघे खाते डकार भर रहे थे,,,उथले पानी मे प्रवासी भूरी बत्तख  का झुंड,,,पर कम्बख़्त कैमरा,,,,धोखा दे गया,,,खैर भाजी तोड़ती उस महिला से पूछा,,,का भाजी हरे,,,,, चन्दौरी भाजी,,,फेर तू मन नई खावव येला,,,, मैं बोला,,,खाये के है तो काबर नई खाबो,,,उसने समस्या गिना दी,,,,बने सुधारे पड़हि,,,पताल संग बनाबे तब मिठाहि,,, सब्जी और रेसिपी दोनों साथ लेकर दुपहरी से विदाई ली,,,,नए वर्ष में नवा सुवाद के साथ