नुपुर तलवार की जमानत अब अगर हो भी गयी ,,तो इतने दिनों के बाद वो कौन से साक्ष्य बदल देगी यह समझ से परे है ,,लेकिन कानून के घर देर है ,,अंधेर ,,ह्म्म्म ???? चलो ठीक है ,,अंधेर नहीं है मान लेते है ,,,पर यह समझ ही नहीं आता ,,की दस बीस से अधिक अपराध करने वाले व्यावसायिक अपराधी गुंडों को पेरोल ,,या जमानत कैसे मिल जाती है ,,,हो सकता है की वह अभी दोषी साबित नहीं हुआ है इसलिए ,,,या फिर अदालत उन्हें अपनी योग्यता बढाने का मौका देती है ,,,,,लेकिन फिर भी जिसने कई वर्षो से अपनी आपराधिक प्रतिभा दिखाई हो ,,उसे पेरोल ??? भई कमाल है ,,,देश की न्याय प्रणाली भासा पर आधारित है ,,,और वकील भाषाशास्त्री ,,,जो वकील जितनी भारी भाषा जनता है वो उतना काबिल ,,,वकीलों की दूसरी खूबी है सेटिंग ,,वाह रे सेटिंग ,,लोअर कोर्ट नहीं तो हाई कोर्ट ,,,आखिर नोट और कोर्ट शब्द भाई भाई ही है ,,,,सजा का असली मजा तो गरीबो की ही किस्मत में है ,,जिनके लिए जेल के अन्दर बाहर में कोई ज्यादा फर्क नहीं होता ,,,,,,,,,,,,,,,
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