Wednesday, May 2, 2012

कृष्ण फिर बोले 

सत्ता का अश्वमेध यज्ञ प्रारंभ हो चूका है ,,,राजनीती की वेदी में और कई बलि चढ़ेगी ,,,समझौता ,अपरहण ,चर्चा ,,मध्यस्थ ,,,कर्मकांडों की तरह इस यज्ञ का हिस्सा है ,,,,एक अश्व पकड़ा गया ,,फिर बिना युद्ध के छोड़ दिया गया ,,यह
आधुनिक लोकतान्त्रिक तरीका है ,,,किन्तु रक्त फिर भी बहेगा ,,,धरती के नीचे से ,,जो तुच्छ है वो कुचले जावेंगे ,,,आखिर सिहासन और सत्ता का रूप बदल सकता है ,,स्वरुप नहीं ,,हजारो वर्षो में भी नहीं ,,

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