Tuesday, May 16, 2023

जंगल

इन दिनों जंगल,,,वाकई अनमने से है,,जरा बारिश क्या हुई घांस तो हरिया गई ,,पर फिर झुलसेगी ,,,बचे जिंदा  जल सोते अब गंदले पड़े है,, जिनमें सुबह शाम कतारें लगती है,,चौकस हरिणों ,,गौरों ,,औऱ तीखी पुकार लगाते मयूर जोड़ों की,,, संग छोटे छौने भी अपनी मां के संग डगमगाते ट्रेनिग ले रहे हैं मानसून के पहले दूध छोड़ तृण चरने वास्ते,,सफेद पूंछ दूधराज के कटोरीनुमा घोंसले बांस की फुनगियों में झूल रहे है साथ है पंख छितराई फिनटेल जो रह रह कर थिरकती है साथी के लिए,,,झिंगुरे भी झुंडों में मदमस्त संगीत छेड़ रहें है,,,झुन्त्रन्नंन्नंन्नं,, लाल सिर कलारी कोकडे ने सबसे ऊंची केनोपी में बड़े बिखरे अंदाज में आशियाना बनाना जारी रखा,,,तेंदू ,,चार झर लिए तो वानर दल कुछ बची हरी पत्तियों में जुटे पड़े है
मेरे विवाह वर्षगांठ के अवसर पे ,,आप सभी आत्मीय जनों की शुभकामनाएं,, एवम आशीष प्राप्त हुआ,,,आप की सम्वेदनाओं के लिए हृदय की गहराइयों से आप सभी का धन्यवाद,,,,