Sunday, October 16, 2022

ममा बर के देखा

ममा,, बर के देखा ,, 

बिंझवार मिर्धा,,,डिंग डिंग से ताड़ी माफिक लम्बा ,, बिरबिट करिया चेहरा में बोटराय घूरती गंजेड़ी आंखें,, किसी पे टिक जाए ,, दू चिलम का नशा गनगना जावे ,,ऐसे ही रक्सा थोड़ी कहते हैं भला,,,किसी  गरवा को जरा छू तो ले  झट हरियर गोबर का पोकर्री मार देता ,,,,अमावस रात मसान में चिता जैसे जरता है भक्क ले,,,खोखन के बड़े बाप ने देख का लिया ,,,लेकुवा मार गया ,,,गाँव के बाहर दैमार तरिया के ओ पार अमली झाड़ ,, से लग के घांस जमीन में अढ़ाई एकड़ का खेत फिर झोपड़ी,,,,
                   पंचायत में अतिक्रमण हटाने का प्रस्ताव पारित भी हुआ ,,,और तहसीलदार साहेब  सफेद सूमो में लहराते आये फिर,,,कैसे गाड़ी का बेरिंग टूटा,,,और पटवारी ,,आई आर समेत खातू गड्ढा में बोजा गए,,,प्रकरण खारिज,, दाखिल दफ्तर,,,रक्सा परेत संग लुवाठ कचहरी ,,
,      इस बार टिंगू दाऊ के सरपंची चुनाव में मिर्धा के बोले आधा खाल्हे पारा पलट गया,,,दाऊ के ब्यारा खुरडी बोकरा पैरा में धीमा धीमा भुना रहा,,,चूल्हा में डबकता भात,,,परसा पत्ता के पतरी संग,, कतार में फ़सकराये कर्मठ कार्यकर्ता ,,,शेर छाप मसाला से लेकर ब्लंडर प्राइड तक बटे हुए,,,बोटी नोंच रहे,,ढोलधोल रसा चुहुक रहे,,,टिंगू दाऊ लगी लाग में कह उट्ठे,, ममा एक बार तो बर के देखा दे गा,,,,बिंझवार एक सांस में पैग गटक गया,,,तंहु भाँचा बड़ ठिठोली करथस,,,,ये बारी तो बस्ती में आबादी पट्टा देलवा देबे,,,,भाँचा मुस्कुराते हुए नया पैग बना रहा है
          इस बार गाँव भर में डायरिया फैला है,,बी एम ओ साहेब की रिपोर्ट है,,,सूखते तालाब की दूषित मछली खाई है ,,,हर घर लोग खटिया पकड़ रहे,,, जब छह सात लोग निपट लिये,,,तब दवा दारू से विश्वास क्यों न डगमगाये,,,पंचायत बैठकी जरूरी है,,,,फागु बैगा की गुप्त रिपोर्ट,,अभी छत्तीस घर और काठी उठेगी,,,सरपंच जी,,,इलाज जरूरी है बिंझवार मिर्धा को रात गए शीतला चौरा के पास छकत दारू पिलाई गई,,,,,टिंगू दाऊ फिर कहे,,  ममा अब तैं बर जा,,,,,,भरे चौरा में बिंझवार मिर्धा भभक रहा है,,,,माटी तेल के फैलते धूंगीया में भुनता मानव मांस ,,भीड़ घेर कर  चीख सुनती है ,,,देखती है रकसा कैसे बरता है,,,,भक्क भक्क

बरना^ जलना


अनुभव