Monday, November 25, 2019

चपड़ासी का नाम था घांसी,,,, उसकी विशेषता थी भयंकर खांसी,,और काम था,,सुबह से कोने पे बैठ कर ऊँघासी,, संज्ञा सर्वनाम और विशेषण का अद्भुत समन्वेशी चरित्र,,,सैतीस बरस के कार्य अनुभव ,,को बीड़ी के धुंवे में दिन भर फूंकता रहता,,,सुबह तहसील दफ्तर का किवाड़ खोल कर बीते दिन के सारी गन्दगी और यादों को पीछे कूड़े में उलेड आता,, और एक पुराने अंधेरे कोने में,,टेबिल पे पसर जाता,,  पूरे दिन के प्रोटोकॉल में साहब के आने जाने पे  खड़ा होकर नमस्ते,,और 

Tuesday, October 15, 2019

मृत्यु

जब मैं मर जावउँग तब  क्यू दुखी होना
कर्जदार के मैयत में,,सिक्के नही उछाले जाते
बयाना जो बांकी है वो  बेफिक्र हो वसूल कर लो
हकदार की हकीकत से  जज़बात नही आंके जाते

मृत्यु से पहले

मृत्यु से पहले वो जिंदा था
या फिर शायद नहीं
वो मरने के बाद,,,,अब महसूस कर पाया
कि जिंदा है,,मर कर भी
अनुभव

Thursday, October 3, 2019

गांधी जी स्वर्ग में आश्वश्त होकर बस सोने ही जा रहे थे,,उनकी जयंती पे कम से कम एक दिन शराब बंदी और पशुवध हिंसा से मुक्त था,,और ठीक उसी वक्त पृथ्वी लोक से शोर उठा,,,मादर चोद,,, ठांय ठांय,, बुलठू भैया अपनी आखिरी छुरेबाजी के मुजायरे के बाद छाती में गोली खा कर औंधे पड़े थे,,,पर कातिल कांप रहा था,,, क्योंकि बुलठू पाठक मरते मरते भी बोला,, फेर आंहु मादर चोद,,रुक
                रायपुर शहर इन दिनों काफी बदल चुका है,,अस्सी के दशक में 10 थाना छेत्रों से

Monday, September 30, 2019

मुड़ी जो मुड़ी तो फिर मुड़ गई
उस्तरे से उस तरह से सारी चुन्दी उड़ गई

Saturday, September 28, 2019

बरहा और जेपरा

जेपरा औ बरहा,,
धकर लकर  झाड़ चघा,,औ झाड़ कौन ,,बमरी  ,,कांटा कुण्टी ले छेदा गया जेपरा,,लुंगी छूट गया रह गया ,,हरियर चड्डा और लटकता  नाड़ा,,,फेर नई उतरा,, काबर नीचे बरहा छेक के बैठा जो था,,घों घों करता ,,,,,,जेपरा का हाथ गोड़ खोर्रा गया था,,लहू बोहा रहा था,, घों घों ,,,सारा बेटा खेत मे खोन्दरा तान के,,पीला दे दिया,,,अब कर ले लुवाठ खेती किसानी
         धान खेत के बिच्चो बीच,,,जंगली सूरा का खोन्दरा,,जेपरा आवेदन धरे किंजर रहा,,ये आफिस ले ओ ऑफिस ,,तहसीलदार किथे,, जंगली जीव है माने बनविभाग का मामला,,,रेंजर साहेब बोले,, आधा नुकसानी में होता है मुमावजा  या फेर गोड़ हाथ तोड़वाये मे,,,खोरचाये हपटाये का कोई हिसाब नही,,, ,,जंगल गार्ड भेज के खेदवा देंगे, ,,दु हप्ता पहिले,,फेर वहा रे विधान आज ले कोई सुध नही ले रहा,, औ बरहा घेरी बेरी होदरने करता है,,,बिककट अल्हन है भाई,, सूरा मार सुतली बम में आटा लपेट के रात के डार दे,, सरपंच का आडिया है,, किसे करबे,,
            बिहिनिया खार में  सूरा छर्री दर्री पड़ा था,,,जबड़ा फूट गया ,,अब क्या,,, भून के मास खाओ खतम करो,,,जम्मो पंचायत खाया बांट के ,,फेर कम नही पड़ा तो सोखा दो,,बिककट मिठाया रहा,,जेन नई चखा ,,कल्लायेगा ही,,सब्बो अधिकारी एक्के दिन धावा मारा दिया,,,सोखडी मांस,,बयान,,मौका जांच,,पंचनामा,,, बनपशु को मारा,, है खाने खातिर,,,कौन कौन खाया सब्बो अंदर,,,होगा,,,,रेंगजर साहब धार्मिक मनखे था,, बिष्णु अवतार को मार दिया रे,,बराहा अवतार,,हा ,,हा ,,हा गम्भीर धारा लगेगा,,जेपरा उखरू बैठ के सोंच रहा था,,, मोला होदरत रिहिस तो ओखर उप्पर कोनो धारा नई,,वाह रे कानून एकतरफा, पेला रहा है,
       सरपंच गार्ड से गोठिया रहा है,,समाधान निकले साहब तो सब्बो का भला हो,,  मामला जम गया दिखता है,,, गरुवा डाक्टर पोस्टमार्टम कर दिया,,,देवार डेरा का देशी सूरा है,,,,जंगली पशु अधिनियम में नही आता,,,जेपरा का जान बच गया,,फेर धान,,, एक गाड़ा बेंच के हुआ ऊपर से निच्चे तक का  मुवावजा चुक्ता,, धान खेत ले अभी भी आवाज आता है,,घों घों,, फेर जेपरा अब नई भागता,,, क़ानून बोला है,,देशी सूरा है

अनुभव

Sunday, September 1, 2019

पीहू

बिटिया ,,तुम बड़ी होकर कुछ बन जाना
ठीक है बन जाउंगी,,
क्या बनोगी ??बताओ जरा
अभी नही बताउंगी
जब बड़ी होंवूगी ,,
तब ,,सीधे बनके दिखाउंगी!!!!

पापा की पीहू को हैप्पी बर्थ डे,,,

Saturday, August 17, 2019

चार चिन्हारी

चार चिन्हारी,,
जब प्राथमिकताएं  बदलें  तो पहले पहलअचरज आम बात है,,,बड़ी विकास योजनाओं की जगह जिक्र नरवा  गरवा घुरवा बारी का हो,,तो प्रश्न लाजमी हो जाता है,,कि,, आखिर क्यूँ,,,,,प्रगति  की प्रकृति जितनी जमीनी होगी,,विकास उतना समानवेशी होगा,,छतीसगढ़ के,गढ़ रायपुर,, दुर्ग ,बिलासपुर जैसे नगरीय केंद्रों,, के स्रोत हमारे ग्राम्य और वनप्रदेश है,,,भिलाई इस्पात संयंत्र या उरला के कारखानों के बहुत पहले से यंहा का उद्यमी किसान ,,बनिस्बत कम उपजाऊ लाल माटी में ,,,अपने तकनीकी ज्ञान से दुबराज ,,जवां फूल की सुनहरी बालियां उगाता आ रहा था,,मूलतः माटी के इसी जुड़ाव से छत्तीसगढ़ की भाषा,,नृत्य,,आहार,,पहनावे,,का जन्म हुआ है
         ,,,जो कभी धान के खेत नही बूड़ा ,,वो  छत्तीसगढ़ को गेंड़ी चढ़ कर ही देख रहा है,, बात नरवा की हो तो ये हर गाँव के आसपास से मानसूनी जल को भूजल से जोड़ने वाली आदिम धरातलीय जल रेखाएं है,, जिसमे डुबकियां लगा कर यंहा का बचपन जवां होता है,,गरवा हमारा वो पशुधन है जो आधुनिक कृषि व्यवस्था के चपेट में आकर अब जुगाली करता,,आपकी गाड़ी का रास्ता रोक लेता है,,पर छेने पे सिकी कपूरी रोटी आज भी उतना ही सुवाद देती है,,देशी गाय के घी की छौक आज कितनो की किस्मत में है,,गोबर्धन पूजा ही छतीसगढ़ की असली दीवाली है,,
            घुरवा यंहा के वो प्राचीन उर्वरक कारखाने है जिनसे निकले  गोबर खातू से यंहा का चावल  दुनिया की सबसे सुगन्धित महक से महकता था और बारी ,थे,आदिम हार्टिकल्चर फील्ड ,,हमारे स्थानीय देव ,,देविया,,भी इन्ही संसाधनों की रक्छा प्राचीन काल से कर रहे है,, अरपा ,,पैरी के धार,,या मोर संग चलव जी जैसे गीतों के बोल,, उस आदिम प्रेम के रूप में आज भी आंखे गीली कर देती है,,ऐसे में अर्थव्यवस्था के आधुनिक प्रतीकों से भिन्न नरवा गरवा घुरवा बारी,,एक ऐसा विकास मॉडल है जो हमारे पर्यावरण के साथ हमे उठने में मदद करता है,,सतत विकास के उस वैश्विक संकल्पना से हमे जोड़ता है जो अन्धाधुन्ध,,संशाधनों के दोहन से भिन्न आने वाली पीढ़ियों को ध्यान रखकर सन्तुलन को अपना लक्छ बनाती है ठीक है कि पोरा की बैल जोड़ी की जगह ट्रेक्टर ने ली है पर हमारे विश्वास और इतिहास ,,के ही ये चार चिन्हारी अब एक नया प्रतिमान गढ़ेंगे,,
                  

अनुभव

Wednesday, July 24, 2019

कत्थई केचुआ जब  गीली मिट्टी को भेद कर निकला तो वही पास लाल चीटियों के पंख निकल आये थे ,,मैदान के चारो ओर फैली हरी दूबी  के बीच छोटे गड्ढो में सोए मेढक जाग चुके थे और,,प्राचीन ओपेरा प्रारम्भ हो गया ,,,पीले फूलो से काली पीली तितली ,,ने रस पिया तब चुपके से ,,उनके पराग माथे पर चिपक लिए,,अब वो कंही दूर जाकर नए रंगों में खिलेंगे,,, पिट पिटी सांप ने मुह खोल कर छोटे केकड़ों को निगलना शुरू किया,,,कि ऊपर डंगाल पे बैठे नील कण्ठ की टी टर्राहट ने उसे दुबकने को मजबूर कर दिया,,,,बादल काले होकर जब सफेद बगुलों के पास से उड़ने लगे,,तो  चिरई जाम के झाड़ के नीचे की जमीन जामुनी हो गई,,,और कुकुरमुत्ते ने छाता तान लिया,,,बारिश झरने लगी,,,,,या फिर जिंदगी ,,,पतली भूरी नालियों से होकर मैदान में पसर गई,,,कनखजूरे के बिल में पानी भर गया,, और खुशी भी जिससे ,,,भूरी मैना तो गीली होकर,,,फूल गई,,,ये नीले समुन्दर से उठी ,,उन बूंदों का कमाल ही तो था ,,जो छन कर आसमान से बहते आई ,,और फिर  चमकते हुए,,,नीचे बरसी ,,,ये फिर उड़ जाएंगी ,,पर इंद्रधनुषीय रंगों को बिखेर कर,,,

Saturday, July 20, 2019

भीड़ की भाषा

भीड़ की भाषा,,

हमारे देश में सदा से ही मदारियों ,,साँप नेवले का रस्ते मे सस्ते खेल देखने का रिवाज रहा है,,,,जमूरे और उस्ताद का डमरू एक बार डम डमाया और भीड़ ने गोला बना लिया,,,,भीड़ जिसमे कई मोहन,, सोहन  समारू बुधारू एक सा कौतुहल लेकर झांकने लगते है,,,इस  सामुहिकता में भयंकर ऊर्जा भरी होती है जो कभी तालियों में और ज्यादातर गालियों में प्रकट होती है,,,मुर्दाबाद मुर्दाबाद,,जिला प्रशासन मुर्दाबाद,,,फलाना ढिकाना मुर्दाबाद,, और जब इस भीड़ के रेडियोएक्टिव सदस्यों के नाभिक में कोई उतेजक या भावुक घटना प्रहार करती है तो
फिर होता है विस्फोट,,,
                         विषय जितना भावुक,,उतना महाविस्फोट,,
गौकशी से लेकर किसी सड़क दुर्घटना में मरी बच्ची का मामला हो,, लोग जुटते जाते है,,भावुक होने के लिए पहले ज्ञान अर्जन करते है,,क्या हुआ,,कौन था,,अच्छा तो अब ये भी होने लगा,,
विरोध होना चाहिए,,कल्पना कीजिये अपने परिवार के साथ गवई गावँ में शाम के वक्त कंही जाते हुए यदि आपकी गाड़ी किसी से टकरा गई तो नजारा सोंचिये,,, शराबियों की न्यायपालिका,, ऑन द स्पॉट डिसीजन,,,मारो,, और फिर पब्लिक कुटाई,,आज पूरे देश मे ऐसी माब लीचिंग की संस्कृति फैल रही है,,,समूह में शामिल हर एक शख्स अपने व्यक्तिगत दर्द को तात्कालिक समस्या से जोड़ लेता है,,और उसका इलाज तत्काल चाहता है,,
                    प्रशासन भीड़ से जब बात करता है तो ज्यादातर लोगों के खुद का दर्द निकलता है,,क्या बात करते हो साहब,,,जब से मांग कर रहे है शराब ठेका बन्द हो,,हुआ,,शराबी तत्काल विषय को बदल देगा,,,स्पीड ब्रेकर क्यों नही बना,,रिश्वत खोर है सब,,,मोला अभी तक इंदिरा आवास नई मिले हे,,, हजारों समस्याएं,, कई नेता,,कुछ क्रांतिकारी ,,आग लगा दो टाइप,,जरा मांगे देखिये,,पीड़ित को शासन द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि से चार गुना अधिक राशि,,अभी दो,,,परिवार के सदस्य को नॉकरी,,शहीद का दर्जा,,,एक्सीडेंट में मृत को अभी दो,,,आदि आदि,,,नही तो मुर्दाबाद मुर्दाबाद,,,ऐसे में यदि थोड़ी भी चूक हुई तो अधिकारी भी पिटेगा,,,और पुलिस भी पत्थर खायेगी,, कानूनी उपचार में लाठी चार्ज से लेकर गोलीचालन तक उपलब्ध होते हुए भी सबसे  सार्थक इलाज है चर्चा ,,जो धैर्य की पूरी परीक्छा लेगी
मौके के अनुसार ,,,लिखित में सारी मांगे मंजूर है से ही सभा समाप्त हो सकती है,,
                     बहरहाल माब लीचिंग वानर काल से ही हमारे डी एन ए में मौजूद है,,,लोकतंत्र के मंदिर में भी कभी कभी ऐसी घटनाएं होती रहती है,,पेरिस की बेकाबू भीड़ ने ही आखिरकार बेसिल के पतन से गणतन्त्र की नींव रखी थी,,,पर जब नेपोलियन ने देखा कि ये भीड़तंत्र आदत में शुमार हो गया है तो उसने तोप का मुंह भीड़ की ओर मोड़ दिया,,,माब लीचिंग की बढ़ती संख्या को भी अब  कठोर  कानूनी कार्यवाही की दरकार है

Friday, June 21, 2019

मानसून

पर्यटन को निकली बूंदे,,
नीले सागर से उठकर कारे बादर चढी
फिर मेरे आँगन  ,,टिप टिप बरस पड़ी
स्वागत है चिर अतिथि,,अपनी महक बिखरा दो
जल भून गई भूरी माटी,, शुष्क हृदय हरिया दो!!!

Saturday, June 1, 2019

बेहरम है वक्त साथी जाग अब
मजिस्ट्रेट मुर्दा रहे मुमकिन नही
संगठन के शान पे है मकड़ियां
दिल जले गुर्दा जले,, पर महफ़िल नही
आहवान करती है ,, हमारी अस्मिता
साथ हो तो कोई मुश्किल,,, मुश्किल नही

Saturday, May 25, 2019

तरन्नुम तर्जे तकिया,,तहजीब तबे है
मजहर तेरे मुक्कदर ,,मकदूल बजे है

बरबट्टी आलू

कांसे की थाली में एक ओर गर्म भात ,भूरी दाल,,,  तिल छिटकी बिजौरी,,,,और कोने में बरबट्टी आलू,,,माँ के हाथ सन कर कौर  गाँव ,,,औऱ नगर बन जम गए,,,राजिम,,रायपुर,,,नवापारा,,और कुकेरा,, निवाले पे निवाला,,,गर्म है तो फूंक लो,,,मिरची है तो थोड़ा पानी,,,स्वाद वो जो आज तक जीभ भिगो देता है,,,नारियल का तेल बालों

Friday, May 24, 2019


जुबां में जहर,,
इरादों में तेजाब है
पर सब कुछ माफ है
ये बताइये,,बरखुर्दार
आप कौन सा छाप है

Friday, May 10, 2019

गणित का माफिया राज

गणित का माफिया राज,,
हमारे स्कूली पढ़ाई के दौर में एक विषय ,,का माफिया राज था,, इज्जत और ख़ौफ़ का दूसरा नाम  ,,गणित,,गधे और होनहार का फर्क वही तय करता,,गुरुजी की छड़ी की गूंज से उस पहाड़ की चढ़ाई शुरू होती ,,तभी तो उसे कहते थे पहाड़ा ?? क्लास दर क्लास ये चढ़ाई बेहद दुर्गम होती जाती,,,अंकगणित, बीजगणित
के पथरीले रास्ते से,,त्रिकोणमिति,,छेत्रमिति,,समुच्चय,,जैसी अभेद्य चोटियां,, ये माफिया भविष्य के होने वाले कई कला ,,भाषा प्रेमियों की गर्दन प्राथमिक शाला में ही मुरकेट देता,,और आधे बच्चे पहली बोर्ड परीक्छा तक पढ़ाई से पलायन कर लेते,,
              गणित माफिया की सांकेतिक भाषा भी थी,,जबकि जमाएं,,,माना कि,,तो ,,,इसलिए,,,ले दे के विद्यार्थी एक्स ,,वाई से जूझता हुआ,,,उत्तर तक हलाकान परेशान पहुच भी गया,,तो इति सिद्धम गड़बड़ा जाता,,,लेफ्ट हेंड साइड ( Lhs) कभी राइट हेंड साइड (Rhs) से मिल नही पाता,, भूसी दक्छिना में एकमात्र राहत थी,,प्रोसीजर में भी अंक मिलते है,,,ये भाषा आगे जाकर जब अल्फा ,,बीटा की बदतमीजी में उतरती तब तक रसायन और भौतिकी के मैदान में भी गणित के गुर्गे न्यूमेरिकल बन कर उतर जाते,,शुरुवात में तो लाभ हानि,,प्रतिशत जैसे मामले दुनिया से जुड़े लगते भी है,,,पर धीरे धीरे इंटीग्रेशन ,,डिफ्रेंसिअशन की अंकीय कलाबाजियां आती जिसका सीधी जिंदगी से कोई सम्बन्ध नही होता,,,इतिहास भूगोल यँहा तक जीव विज्ञान वाले भी,,,अपने ज्ञान को इस दुनिया से जोड़ लेते,,पर इस गणित के अंडर वल्ड का सारा काम दुनिया से छुप कर हट कर चलता,,, हर माता पिता इस अंडर वल्ड का सम्मान करते,,,गणित पढ़ा तो इंजीनयर बनोगे,,मेडिकल में सीट कम होती है,,,इतिहास पढ़ के क्लर्क बनना है क्या,,टाइप,,,इस ख़ौफ़ में कई अन्य विषयों के प्रेमियो की बलि चढ़ा दी जाती,,थोड़ी राहत कामर्स लेकर भविष्य में सी ए बनने का स्वप्न देखने वालों को जरूर मिली,,पर इज्जत का ठेका तो  गणित के पास ही था,,,सोंचता हु सही समय पे प्राइवेट
इंजीनियरिंग कॉलेज खुल गए,,नही तो गणित प्रभावित इन पीड़ितों का पुनर्वास कन्हा होता,,,ये बात तो तय है कि गणित के राज में आज का भारत सॉफ्टवेयर उद्योग में ठीक ठाक कर रहा है,,परन्तु मुझे  पूरा विश्वास है कि शायद इस माफिया राज का इतना दबाव नही होता,,तो इस देश मे कम से कम दस पन्द्रह रवीन्द्रनाथ टैगोर,जैसे साहित्य नोबल पुरस्कार विजेता और हुवे होते,,जिनकी प्रतिभा की हत्या प्राथमिक शाला में हो गई थी

अनुभव

आँवले के झाड़ में,,,आम फल गए थे,,,पूरे गाँव मे हैरानगी थी,,,कुछ आम तोड़े गए,,,चखे गए,,,सुवाद तो आंवले का है,,दिखता आम है,,,खट्टा होता है ,,आम हो या आंवला,,
नही भाई,,,, अभी पक लेने दो,,तब होगा फैसला,,,
आम पक गए,,आंवले नही थे,,,,प्रश्न

Tuesday, May 7, 2019

मतदाता सूची

हर वयस्क एक वोट है ,,एक विचार है,,और इस देश के एक एक विचार को जो दस्तावेज ,, समेटता है,,वो है मतदाता सूची,,,,कभी इस सूची को जरूर देखे,,, इसमे घर है,,गलियां है मोहल्ले है,,पूरा शहर है,,,वयस्क इसमे बुजुर्ग होते है,,फिर विलोपित हो जाते है,,बेटियां मायके से विदा होकर ससुराल में जुड़ जाती है,,,बंगाली ,,छतीसगढ़ी हो जाता है,,और दूरस्थ बस्तर। के गाँव का बच्चा ,,,दिल्ली का मतदाता,,,
            मतदाता सूची हमारी लोकतांत्रिक यात्रा का ऐसा अनमोल दस्तावेज है जिसमे ब्लेक एन्ड वाइट पृष्टभूमि में करोड़ों चेहरे ,,कभी मुस्कराते है कभी रोते हुए लगते है,,,कभी किसी ने शादी लगाने वास्ते अपनी  वोटर आई डी की तस्वीर को भेजा होगा,,?? क्योंकि इस मंच पर कोई गोरा ,,काला,, सुंदर बदसूरत नही,,,सभी एक से है,,,मतदाता सूची समानता का वो दस्तावेज है ,,,जहा मंगलू और ,,मुकेश अम्बानी एक साथ एक अधिकार से रहते है,,,मंगलू भले किसी और ख्वाबों पर वोट करे,,और मुकेश  किसी ओर स्वप्नों पर,,आखिरकार दोनों अपने अपने विचार से ही ई वी एम की पिपडी दबाते है,,,झोपड़ी से महलों तक ,,देवताओं से मजारों तक ,,,खेत से उद्योग तक सबको समेटती ये मतदाता सूची,,,करोड़ों विचारों को एकमेव कर,,एक गोल सदन में समेट देती है,,,
                     हजारो वर्ष पहले देश की विविधता और चरित्रों को समेटने वाला महाग्रन्थ यदि महाभारत है तो फिर आज के  भारत का महाकाव्य है , हमारी मतदाता सूची,,,, इसके एक किरदार के रूप में दर्ज होकर ,,अपने इतिहास और भविष्य का हिस्सा जरूर बने

अनुभव

Thursday, February 28, 2019


बम के गोला
बम बम भोला
मारे मिग औ मिराज
कन्हा लगे कश्मीर ,,कराची
हमर हरे महराज
मलौना,,, हाफिज लुका गे
आवत हे,, यमराज
बालाकोट के चोट के सुरता
आघु रखबे याद
ले रे बेटा,,का गोठियाबे
जुड़ा गे तोर मिजाज
सिक्सटीन ठोक के
लहुट के आगे ,,तेन
अभिनंदन जाबांज,,,

अनुभव

Wednesday, February 20, 2019

छेपका और बच्चन चाचू का खार,, छेपका सुकुल के खेत से लग कर था ,,ठीक बीचो बीच था,, बीस डिसमिल का डोला,,,,जिसे लेकर एक अंतरास्ट्रीय स्तर का विवाद गए कई बरसों से पनपता रहा,,,तीन पीढ़ियों की पटवारी जरीब जिसे सही सही नाप नही पाई,,तहसील के फैसले से लेकर ,कलेक्टर आयुक्त,,या फिर सिविल कोर्ट के मीलॉर्ड के आदेश तक ,,रातो रात मेड़ खिसकती कभी एक ओर फिर दूसरी ओर,,पर विवाद का हल असफल ही रहा
            खैर ये तो रही कानूनी प्रपंच की बात,,असली लड़ाई तो कब्जे की थी,,,बच्चन चाचू रोज सुबह लौटा लेकर जिसका उद्घोष उसी डोला में करते थे,,,ठीक शत्रु के घर के सामने से निकलते हुए,,,कब्ज के मरीज सुकुल के लिए ये सम्भव नही था,,सो सुकलाइन मोर्चा सम्भालती,,,रोगहा,,, बेर्रा से लेकर मुर्दा निकले तलक

Tuesday, January 8, 2019

आगे बढ़ो

साथी आगे बढ़ो,,,

थी पुरानी सड़क जिसे कल से बनना था,,,
फोर लेन होकर सजना था सवरना था,,,
सड़क खुश थी पर साथी कुछ उदास थे
वर्षो से किनारे जो खड़े साथ साथ थे
तपे न धूप में कोई जिनका मकसद था
कोई नीम कोई पीपल कोई बरगद था

सड़क साथियों को उस छोर की कहानी कहती
जिस ऒर शहर था,,पुल थे,,और एक नदी बहती
इतनी खुशहाली पर बरगद को अचरज होता
कभी पीपल मुस्कुराता कभी नीम भौचक होता
वो पूछते सड़क से विकास के फ़साने
कहते कभी तो लाओ हमसे भी मिलाने
आखिर उस रोज चमकता विकास मिलने आया
सजी धजी योजना और लक्छ को भी संग लाया
सबके सहयोग से आगे बढ़ने की बात कही
सभी खुश थे खबर जो आनी थी नई
फिर उस रोज सड़क वो खबर ले आई
चार लेन में बढूंगी कहकर बाटी मिठाई
साथियो ने पूछा ये कौन सा सपना था
दोस्तों का कटना,,अब दोस्त का बढ़ना था
विकास का संदेश सड़क ने बतलाया
तुम सब को भी योजना ने शहर में बुलवाया
कब तक युही खड़े खड़े झाड़ बनोगे
आगे बढ़ो,, अब फर्नीचर और किवाड़ बनोगे
झाड़ तो निपट थे योजना को समझ नही पाते
जो समझते विकास की मंशा,, तो जड़ छोड़ भाग जाते,,,,

अनुभव


Tuesday, January 1, 2019

पहली जनवरी की गुनगुनाती दुपहरी,,, ऊबता ,,उखड़ा हुआ जूना रास्ता,,गावँ पीछे छोड़ एक बाँधा तक  गया,,,किनारे खेत पर बेफिक्र पीली सरसों खड़ी थी,कतार में,,और,बगुले दूर तक घोंघे खाते डकार भर रहे थे,,,उथले पानी मे प्रवासी भूरी बत्तख  का झुंड,,,पर कम्बख़्त कैमरा,,,,धोखा दे गया,,,खैर भाजी तोड़ती उस महिला से पूछा,,,का भाजी हरे,,,,, चन्दौरी भाजी,,,फेर तू मन नई खावव येला,,,, मैं बोला,,,खाये के है तो काबर नई खाबो,,,उसने समस्या गिना दी,,,,बने सुधारे पड़हि,,,पताल संग बनाबे तब मिठाहि,,, सब्जी और रेसिपी दोनों साथ लेकर दुपहरी से विदाई ली,,,,नए वर्ष में नवा सुवाद के साथ