Wednesday, November 24, 2021

चिंगरी आलू झुरगा,, या अमर अकबर एंथोनी

किसी देशी रेशिपी का स्वाद ,,इतिहास बोध के सौधें पन से लबरेज होता है,,युंकि पीढ़ियों से माँ और सास के गुरुकुल की दिक्छा बेटी बहुओं तक परम्पराओं में गुथी हुई नुक़्शे सी पहुचती है,,,इस कर के उसमें  अपनापन और एक जुदा मिठास होती है
         चिंगरी आलू झुरगा एक ऐसा ही खलिस छत्तीसगढ़ी साग,,जो जलीय जायके को एक नई परिभाषा देता है,,,मीठे पानी के झींगे बड़े भी होतें है,,पर देशी चिंगरी के मिनिएचर व्यक्तित्व के समक्ष वे नही टिकती,,, चिंगरी का कुरकुरा कवच और भीतर मौजूद स्वेत मज्जा ,,स्वाद ग्रन्थियों को झकझोर देता है,,,ढोल ढोल रसा को आलू का सालन स्थिरता देता है पर असली कमाल होता है झुरगे के मक्खनी रवैये का,,,इस त्रिवेणी संगम में किसी सरस्वती को लुप्त होने की मजबूरी नही,,तीनों के तीनो अपने तारतम्य के साथ मौजूद होते है,,पसाये भात में सान कर जो शानी कौरें बनते है,,,देख कर जिह्वा स्वयम स्वागत को निकल आती है,,, 
             भारतीय व्यंजनों में ज्यादातर दो साझेदारों का खेल होता है जैसे मटर पनीर,,,चना आलू,,,,और नान वेज को तो केवल मुख्य पात्र के साथ उसके बनाने की विधि से जोड़ कर नामकरण कर दिया जाता है जैसे चिकन मसाला,,या मटन रोगन जोश,,,पर इस देशी व्यंजन में तीन किरदारों की कलाकारी ,,,इसे छत्तीसगढ़ के रसोई की अमर अकबर एन्थोनी वाली छबि दे जाती है