Tuesday, December 28, 2021

जहीन जाड़े की ओस से भीगी सुबोह,,जब सागौन की फुनगियों में,,सत बहनिया किचकिचा रही थी,,,,तब लुवे हुए खेतों की मेड़ से बंगाल रेड फॉक्स ने तीखी हुँकार लगाई,,, गुड़ मोर्निंग,, बच्चे ऐसे शुभप्रभात के अभ्यस्त नही है,,,उस रात के भी नही जो  टेंट में सिकुड़ कर धीरे धीरे बीते,,, अचानक मार्ग टाइगर रिर्जव की सीमा पे,,,नवागांव के खेतों के बीच,,,झुही माटी से पुती,,ये इमारत है,,,,छतीसगढ के बाड़े की संकल्पना के मूल को समेटे,,,आले ,,कपाट ,,,चान्दनी,, और अंगना,,,, समूची इकाई,,,बेहद करीने से की गई कारीगरी का नमूना है,,,
                 पीछे के खुले बरामदे से सागौन वृन्द की तपस्या रत सी कतार झांकती है,,,,उन से लगकर इस फार्म हाउस को विशेष बनाती है,,महुआ,,कुसुम,,खैर,अर्जुन जैसे जंगली वृक्ष समूहों की मौजूदगी,,,,एक छोटा सा तलाब जिसमे लाल टिटहरी और जल कौवे टहलते रहते है,,,,क्रिसमस अवकाश के लुत्फ के लिए इससे बेहतर परिवेश मिल सकता है क्या????
           रात में गोरसी बर गई,,,लकड़ी कोयले की गुलाबी तपन के चारो ओर,,,बृहद गप्पबाजी,,छुटपन के किस्से,,,रहस्यमयी वन कथाएं और बच्चों की होंटेट स्टोरीज,,,,कनेक्शन कर केरोके भी तैयार था,,,किशोर के गीत ,,,ये लाल रंग ,,,सारे गले गुलजार हो गए,,उफ्फ
             चूल्हे सादी दाल को भी बवाल कर देतें है,,,लकड़ी की धीमी आंच में सिके भुने,,,जायके,,, फर धनिया जनाता बैगन भरता हो या फिर सुनहरे आलू गुंडे,,,,,जीरा फूल का जुनाया चावल जब भात में तब्दील होता है,,,तो महक मदहोश कर देती है,,,,गपबाजी के बीच बार बार डबकती गर्म चाय,,,चली आती तो चर्चाओं में और जोर आता,,,,उधर लान में बच्चे तल्लीन है बैडमिंटन के खेल में इधर माताओं के स्त्री स्वर से पडकी ने गुड़ गुड़ाना छोड़ दिया,,,
        साइट सीन में पूरा दल दो भागों में बट गया एक जंगल वाक के लिए,,दूजा जंगल ड्राइभ के लिए,,,वाक के दौरान साल के घने वृन्दो के बीच की जैव विविधता से दो चार हुए,,,तो सेंचुरी की ड्राइभ ने तो चमत्कार ही कर दिया,,,,,राजा स्वयम परघाने आये,,,वन राज बाघ,,,, इस तरह ये कुटुंब यात्रा पूर्ण हुई,,,एक यादगार कलेवर में,,,,कभी न विस्मृत होने वाली स्मृतियों के संग,,,,
       धन्यवाद दीदी जीजाजी इस अनुभव के लिए