Saturday, January 30, 2021

दफ्तर

दफ्तर ,,
ईंटो से नही फाइलों से बनता है,,आदिम धूल से सने,,,पीले पन्नो को किसी तरह लाल धागे से बांध कर,,फूटने से रोका जाता है,,इस बन्धन की गांठ में कई गुजरे अधिकारी ,,कर्मचारी के हस्ताक्षर कब्र के मुर्दो से धीरे धीरे सड़ते गलते है,,,आवेदक का आवेदन ,,,यानि वो बीज,,जिससे ये मोटा,, दरख़्त फला फुला,,खोजे नही मिलता,,,,मिलता है सिर्फ  पन्ने दर पन्ने  फैला सत्यम ,,शिवम सुंदरम सा ,,वाक्य,,प्रस्तुत करें,,,अबे !! अब और क्या प्रस्तुत करें,,,
    खैर ,,,फाइल के अलावा दफ्तर में टेबल भी होती है जिसमे टेबल टेनिस जैसे भावनाओ को इधर से उधर उछाला जाता है,,काम कब होगा,,,होगा,,कैसे होगा,,ऐसे होगा,,साहब कब आएंगे,,कल आएंगे,,दूसरी ओर का खिलाड़ी मंजा हुआ बाबू होता है,,,जिसका हर जवाब टेबल में स्पिन लेकर दूसरी ओर मुड़ जाता है,,