पत्तों में जमी ओश अंधेरे के दर्द बयां करें धूप गर सूखा भी दे ऐसी सुबोह में क्या करे
सुन ले मोर गुरुजी ,,अब सिरा गया है,,ए औ बी,,, बांच गया है,,,सी औ डी सी डी,,,,
मैकल कल फिर आऊंगा साल वृन्द सोहबत में हरिन झुंड संग नृत्य करूँगा सौफ बिछी कुदरत में
कीड़े परेशान हैं बढ़ रहे इंसान है धरती के हर कोने में कांक्रीट के मकान है