Friday, February 24, 2023

सुरेश मामा नही रहे,,,

ये वाक्य बड़ा अधूरा सा है वो,,मुस्कुराहट अब नही रही ,,तिरछी सी अधरों से गुब्बारों में पल प्रति पल फूटती ,,कमाल ये था कि शब्द पूरे नही पड़ते पर अर्थ कंही गहरे गोते लगाते,,,,,,मुझे एक दिन पूछा तुम मुछ कैसे उगा लिए,,मैंने कहा मामा जी थोड़ा मेंच्योड लगूंगा इस खातिर,,बोले फिर दाढ़ी भी गहरी होनी चाहिए गम्भीरता गहन हो जाएगी,,खैर मैंने सब कुछ मुड़वा दिया,, मामा जी उपमा ,,उत्प्रेक्छा के बड़े खिलाड़ी रहे,,,सहजता बड़ी खालिस वस्तु है,,जिसे देख कर लेना सहज लगता है पर सम्भालना बड़ा जटिल ,अनल मामा जी मे  ये सहजता उतनी ही स्वाभाविक थी जितनी हरिशंकर परसाई में चुटीली तीव्रता,,या फिर सचिन तेंदुलकर में स्ट्रेट ड्राइव की कला,,,आज हमने एक खाँटी बाह्मन पारा का वो आदिम शख्श खो दिया जो पिछले मुलाकात में पूछ रहा था,,भांचा  दुरुग में हो या दुर्ग में

Wednesday, February 15, 2023

देवारी गे ले सोंच रहा था,,
स्वेटर जैकेट मरूँगा,,,
किट किट दांत बजेगा
मैं भी भुर्री बारूँगा

वहा डाहर तो बरफ झर रहा
 ठंडा ठंडा हवा कर रहा
रायपुर राज में भोमरा जर रहा,??
अब किसे खासूंगा खखारुंगा
मैं कब भुर्री बारूँगा

अनुभव








Friday, February 3, 2023

प्रशासन में प्रेमचंद

प्रशासन में प्रेमचंद

शासन की नीतियों को धरातल पे लागू करने वाला औजार है प्रशासन,, जो जितना उन्नत होगा,,उतने ही लोक हित कारी परिणाम मिलेंगे,,ऐसे ठोस और व्यवहारिक छेत्र में महान कथाकार प्रेमचंद की सम्वेदनाओं की कल्पना पहली नजर में कुछ बेमेल सी जान पड़ती है,,,पर जरा गौर करें तो इस कल्पना में से कमाल की तस्वीर बनती है,,जो आज के प्रशासन को कई नए आयाम  दे सकती हैं,
       1936 के गोदान का होरी किसान आज भी भारत के गांवों में,,दो बीघे जमीन और सामाजिक मरजाद के बीच पीसता हुआ मिल जाता है,,हमारी तहसील और कलेक्ट्रेट में अर्जी लिए ,,,और  उद्योगपति मिस्टर खन्ना आज भी जमीन अधिग्रहण कर खेतों को कारखानों में तब्दील करने के जतन में लगे हैं,,, प्रशासनिक अधिकारी इन दो भिन्न जिंदगियों के बीच आज अपनी नीतियों संग तालमेल बिठाते बैठा है,,जाहिर है होरी के दारिद्र ,,और मिस्टर खन्ना की महत्वाकांक्षा की पृष्ठभूमि जाने बिना,,हम कुछ बेहतर नही कर सकते,,,प्रेमचंद इन्ही गहरी सम्वेदनाओं को उकेरते है,,,,