Saturday, March 10, 2012


गोबर्धन के ब्यारी माँ इमली के झार,,
तेमा रिथे परेत ,,नाम मुंडू ठेठवार ,,
काली संझकेरहा दुकल्हा ला धर  दिस ,,
डर्राये दुक्लाहा हा धोती माँ चिरक दिस ,,
आंखी कान टेडगा गा गे ,,
अपन डौकी लेईका ला भुला गे ,,
चैतु  बैगा हा खराटा झारू ले ठठाईस ,,
लाल मिर्चा के धुन्गिया माँ दू घंटा झुपायिस,,
फेर नै उतरिस परेत ,,,दुक्ल्हा नै सोझयाईस,,

No comments:

Post a Comment