Sunday, July 24, 2022

भीगा कर लफ्ज प्याले में ,,
ये नगमा पेश करता हूं
गर सुर लड़खड़ाए तो
यू तुम थाम बस लेना

जरा तबियत निराली है
जरा मौसम निराला है
न कहते कुछ तो फिर कहते
दो ही जाम बस लेना

तेरी सोहबत ही ऐसी है
शायर ,,हर शाम होता हूं
बहक कर 






ये तो महफ़िल सजानी है










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