36garh
Wednesday, July 13, 2022
सावन
उल्फत होगी गर फ़िज़ा को जज़्बात न दू
सावन की झड़ी में मय को मेरा साथ न दू
अनुभव तेरे अल्फाज तुझे गूंगा न कन्हेगे
मदमस्त होके बाबा तुझे जो आवाज न दू
हर घड़ी तेरी मुहब्बत में मदहोश रहते है
ये बेखुदी होगी जो दो बूंद तुझे आज न दु
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