आप तो पीते ही बहक जाते है
होश दो प्यालों में चुहक कर अनुभव
कंही दूर खुद से मिलने जाते है
तहजीब दिन भर की मसक्कत है
शख्स लफाजी से मुस्कुराता है
गुस्से को कितना हजम कर लोगे
शुक्र है दिन तो डूब जाता है
किसी दरख़्त के नीचे हो लें
जंहा दूब के झुंड हरियाते है
आज का अखबार बिछा यारों संग
रोज इक नई खबर बनाते है
चखने चख लिए ,,रात बच गई
बोतल खत्म हुई,,बात बच गई
ऐसे कैसे महफ़िल समेट लेंगे
घूम कर कितनी दुकाँ खुलवाते है
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