Sunday, September 13, 2020

भाषा अब वो जूठन है जो कचरे में फेंक दी जानी चाहिए,,आज के इंसान को संवाद के लिये क्या भाषा चाहिए,,,क्योंकि हम जो बोल रहे है,,,वो डाटा है भाषा नही,,,, शोले में गब्बर कहता है,,कितने आदमी थे,,,आज की पूरी भाषा ही ऐसी है,,,डाटा बेस,,, जब हम सम्वेदनाओं की जगह केवल फैक्ट्स का आदान प्रदान कर रहे है,,,,,कैसे हो ,,,वाट्स एप,,मेसेज,,,बेहतर,, उत्तर,,,कन्हा हो,,,ऑफिस,,कब आओगे ,,शाम तक,,फिर मिलते है,,,,भाषा शुध्दि की 

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