Tuesday, September 15, 2020

उफ़ ये उन्माद का दौर है,,,,लोग चीख रहें है,,,जिंदाबाद मुर्दाबाद,,, भय ,,जय पराजय,,,खोखले सपनों और गलीच आत्मस्वाभिमान की प्रवंचना का दौर,,,,,,हमारी आंखों का मोतियाबिंद पकने लगा है,, इलेट्रॉनिक मीडिया के निर्लज्ज  कैमरे हाँफते हुए दौड़ रहे है,,,,रिया के पीछे ,,,,कुछ तो बताइए,,,,क्या आपने मारा राजपूत को,,,, गांजा पीती है,,,,देश जानना चाहता है,,,,,कई स्वघोषित अभिमन्यु ,,चक्रव्युह में अकेले योद्धाओं से भिड़ रहें है,,,,,
            राफेल ,,,,अपाची ,,,न जाने कितनी मिसाईल बीजिंग और इस्लामाबाद में छोड़ आये,,,हम जीत चुके है,,हिंदुस्तान जिंदाबाद,,,गदर फ़िल्म का नायक तारा सिंह नारा लगा रहा है,,,,कभी यही मीडिया ,,खबर दिखाती थी,,पाकिस्तान करोंना में तबाह हो जाएगा,,अब डब्लू एच ओ,, ने प्रशंसा कर दी तो फिर ,,क्या कहें,,,,,
                       प्रश्न ये है,,कि क्या करोंना के वायरस ने मष्तिष्क में खलल पैदा कर दी है,,की हम नीद में भी बड़बड़ा रहे है,,,आपदा के दौर में ब्रिटेन के सबसे अतिवादी नायक चर्चिल ने अपने देश के लोगों को प्रलाप से बचाकर,,, प्रयास में जुटाया था,,,परिणाम था,,हिटलर की वायुसेना के पूरे बम समाप्त हो गए,,पर ब्रिटेन टस से मस न हुआ,,,,तो साहिबान खोखली खबरों के चटखारे पेट का हाजमा ही खराब करेंगे,,,,,,लब्बोलुआब यह है,,कि ग्लेडिएटर के दर्शकों की तरह,,,सत्ता को प्रेरित न करें कि आपको खूनी कुश्ती का नजारा दिखाए,,,,,युद्ध उन्माद हो या फिर आत्महत्या की शहीद कथा,,,,,ऐसी खबरों से बेहतर है,,, किसी पेड़ की पत्तियां गिन लें

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