Saturday, October 4, 2014

शेर सिंग

शेर सिंग
                 बर झाड के झुरमुट ले नाम परा बार... नौ गोंड परिवार वाला' गाव' नवापारा ..औ ये दुनो जुड़वाँ गाव को चारो ओर ले घेरे....बारनवापारा अभ्यारण्य  ..फेर लोग कहते है लुवाठ जंगल ....बिना शेर के सुक्खा जंगल ...मोर बेंदरा औ हरिन देखने कोई जाता है जंगल...?  लेकिन गावं वाला ये बात नही मनाता... कोन कहता है शेर नही है देवपुर घाट में बाघ पंजा का छापा फोकट में मिला था ...
          
                      सही बात तो है कि कभी ये  गाव शेर के दहाड़ ले कपकपाता रहा..फिर वो रात जब शिकारी आया तो पूरा गाव तीमारदारी में जुट गया.. पेड़ उप्पर मचान बंधा...ओउ खाल्हे में बंधा भैंसा पडवा ...माँआआअमाँ ......पडवा नरियाता ..ओ दुरिया ले सुक्खा पत्ता मन चरचराता  ..मम्हाता बिसरैन गंध  .. अंधियार में चिमकता दू आंखी  ..बग्ग ले....आन दे और आन दे..फेर बीस हाँथ दूर ले गूंजता गया डबल बेरल  ...धान्य धान्य...औ सुतता ऊँघाता साल सेगोन को जैसे कोई झकना के जगा दिया हो..हिल गया पूरा जंगल...पोटा कम्पाता हुआ ओ दहाड़ ले..
                       बिहिनिया गये गाव में खटिया सजा ... रात भर के शिकार बाघ मन का कतार लग गया..पूरा गाव इकट्टा होके ताक रहा है ..ये हे बन्ड़ा  .. परसा पाली तीर मोर बछिया ल उठाया रहा ..ओ उसका पिला होगा....खटिया में बैठे शुकुल जी अपना दू नाली साफ़ करते .हुए.. ठाकुर ले पूछते है ,,ये आदमी काहे भाग रहा है रे ..एकर लरका हुआ है भैया आजेच...नरवा काटे खातिर औजार ले बर जाता है ..ऐसा... बोलो इसको अपने बेटा का नाम शेर सिंग ही रखे....लकी फेलो ...एक रात में बारह शेर मारे.....शुकुल जी ने नामकरण कर दिया
                     ....पूरा गाव कहता है ये कहानी... मुख्य मंत्री का बेटा धरा है इसका नाम ..शेर सिंग ...और आज का शेर सिंग साठ साल का डोकरा.है...गावं के लईका लोगो को ये कहानी बार बार सुनाता है ...कहता है...जेन दिन ये  शेर सिंग जनमा..ओ दिन ले जंगल में शेर नही दिखा... शेर होगा जरुर ...फेर अब दिखेगा काहे...डर्राता होगा कंही फेर,,, कोई किसी लइका का नाम शेर सिंग झन धर दे...

अनुभव
  

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