Tuesday, July 3, 2012

जैसे एक बच्चा अपने भविष्य को गढ़ने में हमारी मदद चाहता है ,,वैसे ही एक बुजुर्ग अपनी अवश्यभावी मृत्यु से लड़ने में हमारा संबल ,,,मृत्यु अकेलेपन के भय से भरी हुई होती है ,,एक अनजानी यात्रा ,,,ऐसे में उनका हाथ संभाले रखिये ,,,टूटती सांसे भी जीवन के आखिरी प्रेम घूंटो की प्यासी होती है ,,,,बंद होती आँखों को इस अहसास के साथ विदाई दे ,,की आप इस जगत में अपना हिस्सा छोड़े जा रहे है ,,,,,,,,आईये अपने बुजर्गो को अपना कुछ समय दे ,,,,जो कभी उन्होंने हमें दिया था ,,,,,,हमारा आज बनाने के लिए ,,,,,,,,,,,

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