Tuesday, October 13, 2020

जायके को लेकर हर इक राय जुदा होती है,,खालिस देशी रोटी भात  का आशिक चीनी न्यूडल्स ,,और इतालवी पिज़्ज़ा को फिरंगी तहजीब वाली हिकारत से देखता है,,,पर पर्सियन समोसे ,,कचोरियों के चटखारे लेने से नही चूकता,, आखिर हजार बरसों का साथ जो है,,,,,मैकडॉनल्ड के फ्रेंच फ्राई किसी हाल में देशी नही है,,,पर मेथी आलू संग पूरी के बिना,,कोई भारतीय रेल यात्रा पूरी नही होती,,आलू भी कमबख्त पुर्तगालियो की पांच सौ बरस पुरानी सौगात ही तो है,,उस हरी लाल मिर्च के जैसे,,जिसकी छोंक के बिना भारत की कोई भी करी ,,मरी हुई ही होगी,,,हमारी काली मिर्च तो दक्कन के उस पार साम्भर ,,में ज्यादा महकती है,,,इन रंग भेदों के साथ,,ही छेत्रवाद का शिकार भी लज़्ज़त की दुनिया को
     

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