Friday, July 17, 2015

नक्शे

नक्शे  खजाने के हुआ करते थे सुना था,, राजश्व विभाग में खेतों के मिले,, पर किसी छुपे खजाने से कम नही,, वैसे ही रोचक,,,ध्यान देने पर पता चला की सभी नक्शे त्रुटि नामक रोग के शिकार है,,खसरों में बटी इनकी सीमा घुचकती चलती है पटवारीयो और आर आई की खिची रेखाओं से और हमारे दस्तखत से,, खसरे मुद्रा की तरह निस्तारी भूमि के बैंक से निकल कर काश्तकारों के खातों में कब बिखर जाते है पता ही नही चलता,,,ये खसरे जब चुनाव पूर्व बिगरते है तो पट्टा के सम्मान पाते है और उसके बाद अतिक्रमण का आरोप ,,खैर अगले चुनाव तक ये आरोप ही पुरुस्कार का रूप धर लेते हैं,,,सो ट्रेज़र हन्टर इसी जुगत में लगे होते हैं कि कैसे इन पट्टो से होते हुए निस्तार भूमि के खजाने तक पहुचा जाये,, और एक दिन सरकारी नक्शो की घांस जमीन इन भूमाफियाओं के ऋण पुस्तिकाओं में खास जमीन की तरह चमकने लगती है

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