बहुत बहुत पुरानी बात है,, तब मॉल वाल नही होते थे,,,पर एक गाँव मे एक गरीब ब्राहमन जरूर रहता था,,,खैर !! उन दिनों गरीबी की भी बात तो कुछ और ही थी,,,पैसा वाली पाकिट खनखती थी,,खन्न खन्न,नोट वाली गम्भीर बनी चुपचाप सरक लेती थी,,,चवन्नी अठन्नी ,,रुपैये की भाषा,,, बाजार में समझी जाती थी,,, चित और पट सबसे लोकप्रिय खेल था,,,
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