Sunday, July 24, 2022

भीगा कर लफ्ज प्याले में ,,
ये नगमा पेश करता हूं
गर सुर लड़खड़ाए तो
यू तुम थाम बस लेना

जरा तबियत निराली है
जरा मौसम निराला है
न कहते कुछ तो फिर कहते
दो ही जाम बस लेना

तेरी सोहबत ही ऐसी है
शायर ,,हर शाम होता हूं
बहक कर 






ये तो महफ़िल सजानी है










Saturday, July 23, 2022

बांटी और जुगनू दादा की दन्त कथा

बांटी और जुगनू दादा की दन्तकथा,,

सत्ती बाज़ार में ख़ंजर बाजी,,,दो युवक गम्भीर,,,,मेकाहारा में आजु बाजू हथकड़ी लगाए एडमिट है,,और अपने हालत से बेखबर एक दूसरे के पारिवारिक रिश्तों को विशेषणों से नवाज रहें है,,तेरी ,,,,
        इस ऐतिहासिक बैर भाव के अंकुर स्कूल के तीसरी दर्जे से ही फूट पड़े थे,,जब जुगनू ने इंक पेन की नीडल से ,,,बांटी के हाथों में गोदना गोदा,,,बांटी की कलबलाहट,,, नेल कटर से निकली अल्पवयस्क छुरी  से व्यक्त हुई,,,जो उसने प्रतिद्वंदी के कूल्हों में चुभो दी,,, एक महान युद्ध का शंखनाद हो चुका था,,,
               जुगनू दो पसलियों के भरोसे मुशिकल से 5 फिट की काया कायम कर पाया,,,बोचकते बैगी पैंट और ढीली कमीज के पीछे ,,जुगजुगाती अग्नि ,,,वन्ही बिरबिट काले बांटी की बहती नाक ,,सफेद मूछों सी गालों तक  खिंची रहती,,,शरीर सैष्ठव में वो इक्कीस ही था,,, उसके घूंसे जुगनू दादा को कई बार नल्ली में घोलड़ने का मौका दे चुके थे,,स्वाभाविक था कद काठी की इस कमतरी की पूर्ति  ,,मुनासिब बटन चाकू और गुफ़्ती के भरोसे ही कि जा सकती थी,,पर प्रहार से पहले ही जुगनू का हथियार पुरानी बस्ती थाना के पांडे हवलदार के हत्थे चढ़ जाता,,,,,,अंधा कानून,,,
            मुहब्बत इस रक्तिम रंजिश को नए आयामों तक ले गई,,,सरताज पुस्तक भंडार,,,की एकमात्र पुत्री  जब छत में भाग्यश्री सी कबूतर जा जा जा गुनगुनाने लगी,,, उसके ठीक सामने का पाटा पुनः इन दो किरदारों के प्रथम प्रेम का गवाह बना,,,दोनो के लहू से लिखे बेहूदा प्रेम पत्र उसी अनजान शायर की पारले बिस्कुट टाइप पंक्तियों में समाप्त हुए,, फूल है गुलाब का ,,गेंदा न समझना,,,
        पत्रों का हश्र  ये रहा कि तिल्दा नेवरा से आई बरात का स्वागत  दोनो ने जेवनासा में किया,,,भाग्य श्री किसी सलमान के साथ कबूतर सी उड़ चली ,,अब इस विरह पीड़ा में भी दोनो गोल्लर भिड़  चुके थे,,,जुगनू दादा भट्टी की गर्मी में मदमस्त और बांटी अंटा दबा कर पस्त,,, निर्णायक जंग गणेश झांकी की रात लड़ी गई ,,, पहले दोनों एक दूसरे पर खूंखार  कुकुर से गुर्राए,,,फिर मुट्का युध्द में छर्री दर्री हो लिए,,आखिरकार ,,,अपने अपने छुरों से आपस का उदर खोल दिया,,,और लुड़ख लिए,,, ,,
      मेकाहारा में मृत्यु शैया पे ये दोनों योद्धा ,,,एक दूसरे के सामने गर्व भाव से विदा लिए,,, दादागिरी की दंत कथाओ में अमर होकर,,,,,ये ऐसा युध्द था,,जिसकी शुरुवात बेवजह हुई और अंत भी उतना ही अकारण,,, मारवाड़ी श्मशान के गंजेड़ी बताते है कि रात गए आज भी दो परेत एक दूसरे को कुदाते रहते हैं,,तोर,,,
        
        

Sunday, July 17, 2022

किस्से

लोग हमे ये कैसे किस्से सुनाते है
आप तो पीते ही बहक जाते है
होश दो प्यालों में चुहक कर अनुभव
कंही दूर खुद से मिलने जाते है

तहजीब दिन भर की मसक्कत है
शख्स लफाजी से मुस्कुराता है
गुस्से को कितना हजम कर लोगे
शुक्र है दिन तो डूब जाता है

किसी दरख़्त के नीचे हो लें
जंहा दूब के झुंड हरियाते है
आज का अखबार बिछा यारों संग
रोज इक नई खबर बनाते है

चखने चख लिए ,,रात बच गई
बोतल खत्म हुई,,बात बच गई
ऐसे कैसे महफ़िल समेट लेंगे
घूम कर कितनी दुकाँ खुलवाते है













Thursday, July 14, 2022

शाम उतर न पाइ थी
भरी दुपहरी खिली खिली
महुए के रुख के नीचे
वो अखबार सजा के पसर गए
टिटहरी सजग हो तिहक रही
और डिस्पोजल 

चाय लेंगे आप

कॉफी न सही तो चाय लेंगे आप
कमबख्त अब ऐसी राय लेंगे आप
इतना मुक्कमल है मौसम का मिजाज
मेरे दिल की हाय !!! लेंगे आप

ये तन्हा भजिये चखने को परोस दिए
कहते है खाय लेंगे आप
तरन्नुम जो अनुभव का देखना है तो
बोतल खोल दो,,,आजमाय लेंगे आप




Wednesday, July 13, 2022

सावन

उल्फत होगी गर फ़िज़ा को जज़्बात न दू
सावन की झड़ी में मय को मेरा साथ न दू

अनुभव तेरे अल्फाज तुझे गूंगा न कन्हेगे 
मदमस्त होके बाबा तुझे जो आवाज न दू

हर घड़ी तेरी मुहब्बत में मदहोश रहते है
ये बेखुदी होगी जो दो बूंद तुझे आज न दु





Tuesday, July 5, 2022

इतनी सी थी  तुम ,,
जाने कब बड़ी हुई,,
कल की ही तो बात है
मेरी अंगुलियां थाम कर,,खड़ी हुई
तुतलाते ,,आँशु टपकाते,,,कहती थी
मैं टीका नही लगाउंगी
डाक्टर अंकल नहीं है अच्छे
मैं अस्पताल नही जावूगी
तुमको थामे उस टीके की टीस,,
मैं महसूस करता
मीठी गोली तुम्हारे मुख में रख कर
उतरे हुए भावों में मुस्कान भरता
फिर उस रोज जब ,,  
मैंने देखा                    
सफेद एप्रॉन पे स्टेटेथेसकोप लटकाए,,
मुस्कुराहट बिखेरती
डॉक्टर हंसिका,,
,,तुमने कहा,,
पापा ,,
अब आपकी बांहो में मैं टीका लगाउंगी
सौभाग्य !!! ईश्वर तुझे और सामर्थ्य दे
मेरी बिटिया रानी,,हैप्पी बर्थ डे,,,