गांधी जी स्वर्ग में आश्वश्त होकर बस सोने ही जा रहे थे,,उनकी जयंती पे कम से कम एक दिन शराब बंदी और पशुवध हिंसा से मुक्त था,,और ठीक उसी वक्त पृथ्वी लोक से शोर उठा,,,मादर चोद,,, ठांय ठांय,, बुलठू भैया अपनी आखिरी छुरेबाजी के मुजायरे के बाद छाती में गोली खा कर औंधे पड़े थे,,,पर कातिल कांप रहा था,,, क्योंकि बुलठू पाठक मरते मरते भी बोला,, फेर आंहु मादर चोद,,रुक
रायपुर शहर इन दिनों काफी बदल चुका है,,अस्सी के दशक में 10 थाना छेत्रों से
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