बेहरम है वक्त साथी जाग अब मजिस्ट्रेट मुर्दा रहे मुमकिन नही संगठन के शान पे है मकड़ियां दिल जले गुर्दा जले,, पर महफ़िल नही आहवान करती है ,, हमारी अस्मिता साथ हो तो कोई मुश्किल,,, मुश्किल नही
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