मेरे हिस्से बहार नही आती डाँट खा कर डकार नही आती
काम कमबख्त कर्ज से बढ़ते दिन उंघते ,नीद रात भर नही आती
बेइज्जती का हिसाब न कर अनुभव इज्जत इस शहर किसी घर नही आती
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