क्या पता वो खुशी खुशी उधर गया है
ये साली दुनिया रहने लायक भी कन्हा है इन दिनों
फिर जीने के लिए ,,खुदा के घर गया है
उसकी लाश को तो देखो जरा मुस्कुरा रहा है
जैसे अपनी मुसीबतें तुम्हे वसीयत कर गया है
अनुभव वो जिंदा था तो रोता ही रहता था
अब चार कंधों में चालीस को रुला कर गया है
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