खेत मे धान ज्यों बढ़े,,तब माहू आया,,हरा फिर भूरा,,,कीटनाशक छींट कर माहू से मुक्ति तो हो ली,,पर धान अब रसायन से लतपथ था,,,यही चावल शरीर को स्टार्च देगा,,हमारी कोशिकाओं तक रसायन की दखल,,,ये एक रासायनिक युद्ध है,,,आपके और मेरे ऊतकों में ज़हरीली रसायन की परतें चढ़ी जा रही है,,,शासन मजबूर है सब्सिडी को,,उर्वरकों ,,कीटनाशकों ,,के रूप में उत्पादक किसानों तक पहुचाने के लिए,,किसान मजबूर है,,,बाज़ार की मांग पे धान उगाने के लिए,,जहर ऊगा कर हम जहर हजम कर रहे है,,,आखिर ये चक्र कैसे टूटे,,,
दिपावली में आपके घर जो रोशनी होती है,,उसपर माहू धान का रस पीकर मंडराते है,,,
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