स्निग्ध की शेष अभिलाषा नही होती
सभी प्रियवर जनों के इस विशेष अवसर पर आशीष के पीयूष वचनों के लिए,,हृदय की गहराईयों से नमन ,नमस्कार,,धन्यवाद,,आपके इस अवसर पर मेरे प्रति अनुरक्त संवेदनाओ का संवरण मैं सहर्ष स्वीकार करते हुए,सदैव अनुग्रहित रहूंगा,,,,, आपका मनीष
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