वैसे ही ,,,,,
उस रोज वो डरा हुआ था कल की मीटिंग के आंकड़े पूरे नही थे ,,,इस लिए अपने दफ्तर में , बचे हुए काम देर रात खत्म कर रहा था ,,अचानक फिर बुरी तरह डर गया,,वो ,,,उसने उस कर्मचारी को देखा था ,,जो कुछ अरसे पहले ही मर चूका था,,,,बन्धी हुई घिग्घी को तोड कर उसने पूछ ही लिया ,,,बड़ी अजीब बात है कि तुम तो मर चुके हो,, शायद,,, मैंने सुना भी था ,,
मरा हुआ आदमी मुस्कुराया ,,,बोला ,,हाँ मरा हुआ ही था,,,पर अब तो जिन्दा हु लगता है,,,,, उसकी घिग्घी कुछ और घुल गई ,,मरने के बाद भी ,,ऐसा क्यू लगता है ,,,उसे परेशान देख कर मरा हुआ आदमी आगे बढ़ा ,,,देखो मैं जब जिन्दा था तब भी मेरा परिवार खाना खाता था ,,आज भी खा ही लेता है वैसे ही ,,मेरे दोस्त आज भी महफिले सजा रहे है ,, और तुम आज भी मेरी मेज पर वैसे ही फाइले निपटा रहे हो ,वैसे ही,,सब कुछ वैसा ही तो है जैसे मैं जिन्दा था ,,हाँ,कुछ चीजे जरूर बदल भी गई है पर फिर ये बदलाव भी एक दिन बदल ही जायेगा,,,वैसे ही,,
लेकिन फिर भी तुम तो नही हो न,,, वो बोला,,,,मरा हुआ आदमी परेशान सा दिखा,,,,हा नही हु ,,,पर अब लगता है मैं तब भी कन्हा था,,,या फिर था भी तो जैसे आज हु ,,,,या फिर जैसे तुम हो,,,,आज मैं मर कर कुछ कर नही पाता ,,तुम भी ??? ,,,चीजे तो वैसे ही होती जाती है ,,,,,ये कहते हुए मरा हुआ आदमी मुस्कुराया ,,,,,उसने भी अब माथे का पसीना पोंछ लिया ,,,और फिर से एक नई फ़ाइल उठा ली,,,जैसे कह रहा हो ठीक है,,,लेकिन मैं तो अभी जिन्दा ही हु,,,, भले ,,, वैसे ही
अनुभव ,,,,
Saturday, July 25, 2015
वैसे ही
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