छेपका और बच्चन चाचू का खार,, छेपका सुकुल के खेत से लग कर था ,,ठीक बीचो बीच था,, बीस डिसमिल का डोला,,,,जिसे लेकर एक अंतरास्ट्रीय स्तर का विवाद गए कई बरसों से पनपता रहा,,,तीन पीढ़ियों की पटवारी जरीब जिसे सही सही नाप नही पाई,,तहसील के फैसले से लेकर ,कलेक्टर आयुक्त,,या फिर सिविल कोर्ट के मीलॉर्ड के आदेश तक ,,रातो रात मेड़ खिसकती कभी एक ओर फिर दूसरी ओर,,पर विवाद का हल असफल ही रहा
खैर ये तो रही कानूनी प्रपंच की बात,,असली लड़ाई तो कब्जे की थी,,,बच्चन चाचू रोज सुबह लौटा लेकर जिसका उद्घोष उसी डोला में करते थे,,,ठीक शत्रु के घर के सामने से निकलते हुए,,,कब्ज के मरीज सुकुल के लिए ये सम्भव नही था,,सो सुकलाइन मोर्चा सम्भालती,,,रोगहा,,, बेर्रा से लेकर मुर्दा निकले तलक