Saturday, May 26, 2012


आइ पी एल का तमाशा या  फिर  ग्लेडीएटर का खुनी युद्ध

हजारो वर्ष पहले  रोमन शासक ,,अपनी प्रजा का ध्यान मूल समस्याओ से भटकाने के लिए ,,बड़े बड़े कोलेसियम में ग्लेडीएटर का खुनी युद्ध आयोजित करते थे ,,,,जनता से इकठ्ठा टैक्स से मुट्टी भर आमिर वर्ग वैभव शाली जीवन जीता था और आम जनता अपने कष्ट  भूल कर इन खुनी तमाशो में खो जाती थी ,,,आज का आइ पी एल भी एक ऐसा ही तमाशा है ,,जिस नाटक का हर अंक तय है ,,,और आज भी जनता अपने कष्ट भूल कर ,,इस झूठे खेल पे ताली पीट रही है ,,,वाकई इतिहास अपने को दोहराता है ,,,रोम की एक और प्रसिद्ध उक्ति है ,,जब रोम जल रहा था ,,नीरो बंसी बजा रहा था ,,,आज हमारा रोम जल रहा है ,,, मनमोहन जी बंशी तो नहीं बजा रहे ,,क्योंकि उन्हें शायद बंशी बजानी भी नहीं आती ,,,,,,,,,,

अनुभव

Monday, May 14, 2012

खुशामद खोरी एक आर्ट है ,,,जिसका हाथ इसमें जम गया ,वह बिना पसीना बहाए ही ,,केवल यस सर ,,यस सर करके सफलता का मक्खन खाता है ,, महान लोग भी इन मक्खन बाजो से मुक्त नहीं रह पाए ,,, क्योंकि भक्त और चमचे में फर्क करना आसान नहीं है,, लेकिन सटीक मक्खन बाजी वही है ,,जब मक्खन लगवाने वाला भी इस भोरहा में ही रहे की मेरा प्रशंसक है ,,,और देखने वाले भी चमचागिरी का ठप्पा न लगा पाए ,,इसे कहते है सर उठा कर मक्खन बाजी करना ,,,बाकि रहे वो जो इस आर्ट में ढीले है ,,,वो अपने स्वाभिमान का भजिया तलते,,,इन चमचो को घोडा ,,गधा सब बेच कर बखानते रहते है ,,,और सफल खुशामद खोर ,,कुत्ते की तरह पूंछ हिलाता साहब के घर और दिल दोनों में जगह बना लेता है ,,,

Friday, May 4, 2012

नुपुर तलवार की जमानत अब अगर हो भी गयी ,,तो इतने दिनों के बाद वो कौन से साक्ष्य बदल देगी यह समझ से परे है ,,लेकिन कानून के घर देर है ,,अंधेर ,,ह्म्म्म ???? चलो ठीक  है ,,अंधेर नहीं है मान लेते है ,,,पर यह समझ ही नहीं आता ,,की दस बीस से अधिक अपराध करने वाले व्यावसायिक अपराधी गुंडों को पेरोल ,,या जमानत कैसे मिल जाती है ,,,हो सकता है की वह अभी दोषी साबित नहीं हुआ है इसलिए ,,,या फिर अदालत उन्हें अपनी योग्यता बढाने का मौका देती है ,,,,,लेकिन फिर भी जिसने कई वर्षो से अपनी आपराधिक प्रतिभा दिखाई हो ,,उसे पेरोल ??? भई कमाल है ,,,देश की न्याय प्रणाली भासा पर आधारित है ,,,और वकील भाषाशास्त्री ,,,जो वकील  जितनी भारी भाषा जनता  है वो उतना काबिल ,,,वकीलों की दूसरी खूबी है सेटिंग ,,वाह रे सेटिंग ,,लोअर कोर्ट नहीं तो हाई कोर्ट ,,,आखिर नोट और कोर्ट शब्द भाई भाई ही है ,,,,सजा का असली मजा तो गरीबो की ही किस्मत में है ,,जिनके लिए जेल के अन्दर बाहर में कोई ज्यादा फर्क नहीं होता ,,,,,,,,,,,,,,,

Wednesday, May 2, 2012

कृष्ण फिर बोले 

सत्ता का अश्वमेध यज्ञ प्रारंभ हो चूका है ,,,राजनीती की वेदी में और कई बलि चढ़ेगी ,,,समझौता ,अपरहण ,चर्चा ,,मध्यस्थ ,,,कर्मकांडों की तरह इस यज्ञ का हिस्सा है ,,,,एक अश्व पकड़ा गया ,,फिर बिना युद्ध के छोड़ दिया गया ,,यह
आधुनिक लोकतान्त्रिक तरीका है ,,,किन्तु रक्त फिर भी बहेगा ,,,धरती के नीचे से ,,जो तुच्छ है वो कुचले जावेंगे ,,,आखिर सिहासन और सत्ता का रूप बदल सकता है ,,स्वरुप नहीं ,,हजारो वर्षो में भी नहीं ,,